(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 22 जनवरी 2018

सरस्वति पूजा मोहत्सव

विद्यापति  गौरव मंच  युवा कार्य कर्ता के तत्वाधान में  सम्पन्य भेल सरस्वति पूजा एक नजर देखल जाओ 

रविवार, 14 जनवरी 2018

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्तिके शुभ अवसरपर समस्त जनमानस लेल शुभकामना!
      
मकर संक्रान्ति के त्योहार मोक्ष लेल प्रतिबद्धता हेतु होइछ - निःस्वार्थ सेवा - निष्काम कर्म करैत मुक्ति पाबैक लेल शपथ-ग्रहण - संकल्प हेतु एहि पावनिक महत्त्व छैक।

     जेना माय के हाथ तिल-चाउर खाइत हम सभ मैथिल माय के ई पुछला पर जे ‘तिल-चाउर बहमें ने..?’ हम सभ इ कहैत गछैत छी जे ‘हाँ माय! बहबौ!’ आ इ क्रम तीन बेर दोहराबैत छी - एकर बहुत पैघ महत्त्व होइछ। पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू... कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।

आउ, एहि शुभ दिनक किछु आध्यात्मिक महत्त्वपर मनन करी:  

१. मकर संक्रान्ति मानव जीवन के असल उद्देश्य के पुनर्स्मरण हेतु होइछ जाहि सँ मानव लेल समुचित मार्गपर अग्रसर होयबाक प्रेरणा के पुनर्संचरण हेतु सेहो होइछ। धर्म, अर्थ, काम आ मोक्ष के पुरुषार्थ कहल गेल अछि - जे जीवन केर आधारभूत मौलिक माँग या आवश्यकता केर द्योतक होइछ। एहि सभमें मोक्ष या मुक्ति सर्वोच्च पुरुषार्थ होइछ। श्रीकृष्ण गीताके ८.२४ आ ८.२५ में दू मुख्य मार्गकेर चर्चा केने छथि - उत्तरायण मार्ग आ दक्षिणायण मार्ग। एहि दू मार्गकेँ क्रमशः ईशकेर मार्ग आ पितरकेर मार्ग सेहो कहल गेल छैक। अन्य नाम अर्चिरादि मार्ग आ धुम्रादि मार्ग अर्थात्‌ प्रकाशगामिनी आ अंधकारगामिनी मार्ग क्रमशः सेहो कहल जैछ।

उत्तरायण मार्ग ओहि आत्माके गमन लेल कहल गेल छैक जे निष्काम कर्म करैत अपन शरीर केर उपयोग कयने रहैछ। तहिना जे काम्य-कर्म में अपन शरीरकेँ लगबैछ, ताहि आत्माकेँ शरीर परित्याग उपरान्त दक्षिणायण मार्ग सऽ गमनकेर माहात्म्य छैक। उत्तरायण मार्गमे गमन केँ मतलब ईश्वर-परमात्मामे विलीन होयब, जखन कि दक्षिणायणमे गमन केँ मतलब कर्म-बन्धनकेर चलते पुनः जीवनमे प्रविष्टि सँ होइछ। मकर संक्रान्ति एहि मुक्तिक मार्ग जे श्रीकृष्ण द्वारा गीतामे व्याख्या कैल गेल अछि ताहि केँ पुनर्स्मरण कराबय लेल होइछ।  

२. सूर्यक उत्तरगामी होयब शुरु करयवाला दिन - जेकरा उत्तरायण कहल जैछ। अन्य लोकक लेल ६ महीना उत्तरायण आ बाकीक ६ महीना दक्षिणायण कहैछ।

३. पुराण के मुताबिक, एहि दिन सूर्य अपन पुत्र शनिदेवकेर घर प्रवेश करैत छथि, जे मकर राशिक स्वामी छथि। चूँकि पिता आ पुत्र केँ अन्य समय ढंग सऽ भेंटघांट नहि भऽ सकल रहैत छन्हि, तैं पिता सूर्य औझका दिन विशेष रूप सऽ अपन पुत्र शनिदेव सऽ भेटय लेल निर्धारित केने छथि। ओ वास्तवमें एक मास के लेल पुत्र शनिदेवके गृह में प्रवेश करैत छथि। अतः यैह दिन विशेष रूप सऽ स्मरण कैल जैछ पिता-पुत्रके मिलन लेल।

माहात्म्य: सूर्यदेव कर्म केर परिचायक आधिदेवता छथि, तऽ शनिदेव कर्मफल केर परिचायक आधिदेवता! मकर संक्रान्ति एहेन दिवसकेर रूपमे होइछ जहिया हम सभ निर्णय करैत छी हमरा सभकेँ कोन मार्ग पर चलबाक अछि - सूर्य-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल निष्काम-कर्म (प्रकाशगामिनी) या फेर शनि-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल काम्य-कर्म (अन्धकारगामिनी)।

४. यैह दिन भगवान्‌ विष्णु सदाक लेल असुरक बढल त्रासकेँ ओकरा सभकेँ मारिकय खत्म कयलाह आ सभक मुण्डकेँ मंदार पर्वतमे गाड़ि देलाह।

माहात्म्य: नकारात्मकताक अन्त हेतु एहि दिनकेर विशेष महत्त्व होइछ आ तदोपरान्त सकारात्मकताक संग जीवनक प्रतिवर्ष एक नव शुरुआत देबाक दिवस थीक मकर संक्रान्ति।

५. महाराज भागिरथ यैह दिन अत्यन्त कठोर तपसँ गंगाजीकेँ पृथ्वीपर अवतरित करैत अपन पुरखा ६०,००० महाराज सगरक पुत्र जिनका कपिल मुनिक आश्रमपर श्रापक चलतबे भस्म कय देल गेल छलन्हि - तिनकर शापविमोचन एवं मोक्ष हेतु मकर-संक्रान्तिक दिन गंगाजल सँ आजुक गंगासागर जतय अछि ताहि ठामपर तर्पण केने छलाह आ हिनक तपस्याकेँ फलित कयलाक बाद गंगाजी सागरमें समाहित भऽ गेल छलीह। गंगाजी पाताललोक तक भागिरथकेर तपस्याक फलस्वरूप हुनकर पुरुखाकेँ तृप्तिक लेल जाइत अन्ततः सागरमें समाहित भेल छलीह। आइयो एहि जगह गंगासागरमे आजुक दिन विशाल मेला लगैछ, जाहिठाम गंगाजी सागरमे विलीन होइत छथि, हजारों हिन्दू पवित्र सागरमे डुबकी लगाबैछ आ अपन पुरुखाकेँ तृप्ति-मुक्ति हेतु तर्पण करैछ।
       माहात्म्य: भागिरथ केर प्रयास आध्यात्मिक संघर्षक द्योतक अछि। गंगा ज्ञानक धाराक द्योतक छथि। नहि ज्ञानेन सदृशम्‌ पवित्रमिह उद्यते! पुरुखाक पीढी-दर-पीढी मुक्ति पबैत छथि जखन एक व्यक्ति अथक प्रयास, आध्यात्मिक चेतना एवं तपस्या सऽ ज्ञान प्राप्त करैछ।

६. आजुक दिनकेर एक आरो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ भेटैछ जखन महाभारतक सुप्रतिष्ठित भीष्म पितामह एहि दिवस अपन इच्छा-मृत्युक वरदान पूरा करय लेल इच्छा व्यक्त कयलाह। हुनक पिता हुनका इच्छामृत्युकेर वरदान देने छलखिन, ओ एहि पुण्य दिवस तक स्वयंकेँ तीरकेर शय्यापर रखलाह आ मकर संक्रान्तिकेँ आगमनपर अपन पार्थिव शरीर छोड़ि स्वर्गारोहण कयलाह। कहल जैछ जे उत्तरायणमें शरीर त्याग करैछ ओ पुनर्जन्मकेर बंधन सँ मुक्ति पबैछ। अतः आजुक दिन विशेष मानल जैछ अन्य दुनिया-गमन करबाक लेल।

माहात्म्य: मृत्यु उत्तरायणके राह अंगीकार कयलापर होयबाक चाही - मुक्ति मार्गमें। ओहि सऽ पहिले नहि! आत्माकेर स्वतंत्रता लेल ई जरुरी अछि। एहिठाम उत्तरायणक तात्पर्य अन्तर्ज्योतिक जागरण सऽ अछि - प्रकाशगामिनी होयबाक सऽ अछि।

एहि शुभ दिनक अनेको तरहक आन-आन माहात्म्य सब अछि आ एहि लेल विशेष रुचि राखनिहार लेल स्वाध्याय समान महत्त्वपूर्ण साधन सेहो यैह संसारमे एखनहु उपलब्ध अछि। केवल शुभकामना - लाइ-मुरही-चुल्लौड़-तिलवा आ तदोपरान्त खिच्चैड़-चोखा-घी-अचाड़-पापड़-दही-तरुआ-बघरुआक भौतिकवादी दुनिया मे डुबकी लगबैत रहब तऽ मिथिलाक महत्ता अवश्य दिन-प्रति-दिन घटैत जायत आ पुनः दोसर मदनोपाध्याय या लक्ष्मीनाथ गोसाईंक पदार्पण संभव नहि भऽ सकत।

अतः हे मैथिल, आजुक एहि पुण्य तिथिपर किऐक नहि हम सभ एक संकल्प ली जे मिथिलाकेँ उत्तरायणमे प्रवेश हेतु हम सभ एकजूट बनब आ अवश्य निष्काम कर्म सऽ मिथिला-मायकेर तिल-चाउरकेँ भार-वहन करबे टा करब। जेना श्री कृष्ण अर्जुन संग कौरवकेर अहं समाप्त करय लेल धर्मयुद्ध वास्ते प्रेरणा देलाह, तहिना मिथिलाक सुन्दर इतिहास, साहित्य, संगीत, शैली, भाषा, विद्वता एवं हर ओ सकारात्मकता जेकरा बदौलत मिथिला कहियो आनो-आनो लेल शिक्षाक गढ छल तेकरा विपन्न होइ सऽ जोगाबी। जीवन भेटल अछि, खेबो करू... मुदा खेलाके बाद बहबो करियौक। मातृभूमि आ मातृभाषाक लेल रक्षक बनू। मिथिला मायकेर तरफ सँ तिल-चाउर हमहुँ खा रहल छी, जा धरि जीवन रहत ता धरि बहब, फेरो जन्म लेबय पड़त सेहो मंजूर - आ फेरो बहब तऽ मिथिलाक लेल बही यैह शुभकामनाक संग, मकर संक्रान्ति सँग जे नव वर्षक शुरुआत आइ भेल अछि ताहि अवसर पर फेर समस्त मैथिल एवं मानव समुदाय लेल मंगलकेर कामना करैत छी।
  जय मैथिली! जय मिथिला!
ॐ तत्सत्‌!
  









प्रवीण चौधरी ‘किशोर’

शनिवार, 6 जनवरी 2018



बीस गो रुपैया ,सुइद बयाजक संग ई चुटकुला मुसाय बाबाक सन्दर्भसँ लेल गेल अछि ! ओना तs बाबाक समाजक प्रति अनेको उपकार छन्हि ताहिमे एक - दोसराक प्रति परोपकार सेहो बही - खातामे लिखल गेल छनि ! मुसाय बाबाक १ अगस्त २००३ कs देहवासन भs गेलन्हि मुदा हुनकर कृति एखनो धरी समाजमे व्याप्त अछि ! बाबाकेँ धन - सम्पति अपार छलनि ताहिसँ समाजमे मान-मर्जादा बहुत निक भेटैत छलनि ! दस बीस कोससँ लोक सभ मुसाय बाबासँ सुईद (व्याज) पर पाई लैक लेल आबैत छल ! कतेको ठिकेदार कतेको महाजन सभ हुनक दालानपर बैसल रहैत छलनि ! एक बेर मुसहरबा भाइ सेहो अपन विवाहक लेल मुसाय बाबासँ बीस (२०)गो टका लेने छल ! मुसहरबा भाइ बाबाक खास नोकर छलाह तs ओकरा मुसाय बाबा कहलखिन हे मुसहरबा भाइ हम जे तोरा २०गो टका देलियो से हमरा कहिया देबह? मुसहरबा भाइ बाबासँ कहलकनि जे मालिक हम तँ बीस गो टका सुईद (व्याजक) साथ दऽ देने छी ! अहि बातपर दुनू आदमीकेँ आपसमे बहस चलय लगलनि, बहुत हद तक झगड़ा आगू बढ़ि गेल ! ताबे मे किम्हरोसँ कारी बाबु एलथि. कहलखिन- " यौ। अहाँ दुनू आदमीक आपसमे किएक झगड़ा भs रहल अछि "! मुसाय बाबा सभ बात कारी बाबुकेँ कहलखिन आर मुसहरबा भाइ सेहो सभ बात कारी बाबुकेँ सुनेलखिन्ह ! तखन कारी बाबु कहलखिन- " हे मुसहरबा भाइ । अहाँ हिनका कखन - कखन आर कोना पाइ देलियनि से हमरा कहू ........ मुसहरबा भाइ बजलाह – " सुनू कारी बाबु, आ मुसाय बाबू अहूँ ध्यान राखब हमर कतय गलती अछि ? हमरा लग अपनेक टका छल बीस (२०) आहाँ आँखी गुरारीकेँ तकलहुँ हमरा दिस एक टका तखने देलहुँ ......... टका बचल उनैस (१९) अहाँ कहलहुँ अही ठाम बैस एक टका तखने देलहुँ ......टका बचल अठारह (१८) आहाँ लागलहुँ हमरा जोर सँ धखारह एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल सतरह (१७) आहाँ लागलहुँ हमरा जखन तखन तंग करह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल सोलह (१६) आहाँ लागलहुँ हमर पोल खोलह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल पंद्रह (१५) आहाँ लागलहुँ हमरा टांग गरैरकऽ पकरह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल चौदह (१४) आहाँ लागलहुँ हमरा घर पर पहुँचह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल तेरह (१३) आहाँ लागलहुँ हमर रस्ता घेरह एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल बारह (१२) आहाँ लागलहुँ हमरा लाठीसँ मारह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल एगारह (११) आहाँ लागलो हमर कुर्ता फारह एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल दस (१०) अहाँ कहलहुँ हमरा जमीन पर बस एक टका तखने देलहुँ ...... टका बचल नौउह (९) आहाँ कहलहुँ हमरा ओहिठाम नोकर बनिरह एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल आठ (८) आहाँ घोरैत छलहुँ खाट एक टका तखने देलहुँ .... टका बचल सात (७) आहाँ खाइत छलहुँ नून भात एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल छः (६) आहाँ उपारैत छलहुँ जौ एक टका तखने देलहुँ ....टका बचल पॉँच (५) आहाँ देखैत छलहुँ चौकी तोर नाच एक टका तखने देलहुँ...... टका बचल चारि (४) आहाँक सभ भाई मे बाझल मारि एक टका तखने देलहुँ .....टका बचल तीन (३) आहाँ सभ भाई भेलहुँ भीन एक टका तखने देलहुँ ..... टका बचल दू (२) आहाँ कहलहुँ महादेवक पिड़ी छू एक टका तखने देलहुँ ......टका बचल एक (१) आहाँ के बाबूजीक बरखी मे दक्षिणा देल एक टका तखने देलहुँ ...... बाँकी के बचल सुईद आर व्याज | ओहिमे देलहुँ ढाई मोन प्याज ॥" जय मैथिली, जय मिथिला मदन कुमार ठाकुर, कोठिया पट्टीटोला झंझारपुर (मधुबनी) बिहार - ८४७४०४, मोबाईल +919312460150 , ईमेल - madankumarthakur@gmail.com